5 SIMPLE STATEMENTS ABOUT SIDH KUNJIKA EXPLAINED

5 Simple Statements About sidh kunjika Explained

5 Simple Statements About sidh kunjika Explained

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देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति चतुर्थोऽध्यायः

[They are preliminary stotras that need to be recited just before reading through of Devi Mahatmyam/Chandi/Durga Sapthasathi. Here is it informed that if this kunjika stotram is recited then there isn't any must recite every one of these.]

पाठमात्रेण संसिद्ध्येत् कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम् ॥ ४ ॥

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं स:

श्री अन्नपूर्णा अष्टोत्तर शतनामावलिः

अति गुह्यतरं देवि ! देवानामपि दुलर्भम्।।

देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नामावलि

देवी माहात्म्यं दुर्गा द्वात्रिंशन्नामावलि

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति सप्तमोऽध्यायः

धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नीः, वां वीं वागधीश्वरी तथा।

जाग्रतं हि महादेवि जप ! सिद्धिं कुरूष्व more info मे।।

चाय वाले को बनाया पिता और टेस्ट ड्राइव के बहाने उड़ाई बाइक, आगरा में शातिर चोर का गजब कारनामा बॉलीवुड

देवी माहात्म्यं दुर्गा द्वात्रिंशन्नामावलि

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ परम कल्याणकारी है। सिद्ध कुंजिका स्तोत्र आपके जीवन की समस्याओं और विघ्नों को दूर करने के लिए एक शक्तिशाली उपाय है। मां दुर्गा के इस स्तोत्र का जो मनुष्य विषम परिस्थितियों में वाचन करता है, उसके समस्त कष्टों का अंत होता है। प्रस्तुत है श्रीरुद्रयामल के गौरीतंत्र में वर्णित सिद्ध कुंजिका स्तोत्र। सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के लाभ

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